अब कहां वो बातें वो मुलाक़ाते

अब कहां वो बातें वो मुलाक़ातें
जब दोस्त सिर्फ दोस्त नही
सब कुछ हुआ करते थे
हमराज हमसफर हमसाया
हमनिवाला हुआ करते थे
जबरदस्त लड़ाई झगड़ा था
अथाह प्रेम लगाव और लेन देन था
रूठने मनाने का अलग अंदाज था
पर कभी भी कपट और द्वेष नही था
अब कहने को तो  whats app,
fb,twtr पर हजारों दोस्त है, पर
कालू मोटा चश्मिस छछुन्दर भिखारी
कह कर चिढाने वाला
खुशी में नाचने वाला और ग़मी में
आंसू बहाने वाला कोई भी नहीं ।।
फिर भी कोई बात नही
हम अभी भी इस उम्मीद में
जिन्दा है शायद वो जमाना
फिर लौट कर आए
वो मीत मिल फिर जाए ।।
सभी पढे लिखे समझदार

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