अंतर्मन के भावों की लघु कथा,

  सभी युगल साथियो के लिये उनके अपने अंतर्मन के भावों की लघु कथा, अवश्य पढें

" आप किसे चुनेंगे"

अधेड़ उम्र के लोगों की साइकोलोजी की क्लास मे एक दिन शिक्षक ने विद्यार्थियों से कहा "आज हम कुछ खेलते हैं"। विद्यार्थियों द्वारा यह पूछने पर कि क्या खेलेगे?  शिक्षक ने उन विद्यार्थीयो को कहा कि खेल के लिये उन्हें उनमे से एक सहयोगी की आवश्यकता है ।
सरला नाम की एक महिला खेल के आगे आयी
शिक्षक ने महिला को अपने जीवन मे सबसे महत्वपूर्ण ३० व्यक्तियो के नाम ब्लेकबोर्ड पर लिखने के लिये कहा
सरला ने अपने माता-पिता, पति, पुत्र-पुत्री, सगे संबंधी, मित्र, पड़ोसियों, सहयोगियो आदि के नाम लिख दिये
खेल को आगे बढ़ाते हुये शिक्षक ने सरला को उनमे से ३ नाम मिटाने के लिये कहा, ओर सरला ने उनमे से अपने सहयोगियों के नाम कम कर दिये शिक्षक ने उसे पुनः ५ नाम कम करने के लिये कहा। उसने पड़ोसियो के नाम कम कर दिये । इस प्रकार कम करते करते केवल ४ नाम शेष रह गये वे थे माता, पिता, पति ओर पुत्र के ।
इन चार मे से २ नाम और कम करने के लिये कहा गया क्लास मे सन्नाटा छा गया, सभी मूक भाव से देख रहे थे।
सरला ने अत्यन्त दुःखी मन से अपने माता पिता के नाम हटा दिये
सब के लिये दुविधा कि स्थिती तो तब आयी जब बचे हुये पति ओर पुत्र मे से किसी एक का चुनाव करने को कहा गया सर्वत्र सन्नाटा था, सब सोच रहे थे कि अब सरला क्या निर्णय लेगी। सिसकी लेते हुये सरला ने पुत्र का नाम काटते हुये अपने पति का चुनाव किया.....
शिक्षक के उससे पूछा कि माता पिता का नाम उसने क्यो काटा, जिन्होने तुम्हें जन्म दिया, पाला पोसा और बड़ा किया । उत्तर मे सरला ने कहा कि " माता पिता तो एक दिन उसके रहते ही काल के मुंह मे समा जायेगे अतः उनका नाम निकाल दिया"
पुनः पुत्र जिसे कि तुमनें ही  जन्म दिया उसे निकालने पर तुम्हें कष्ट नही हुआ? इसका उत्तर सुनने के लिये सभी अत्यन्त उत्सुक्ता से सरला की ओर ताक रहे थे सरला ने कहा मेरा बच्चा जब बङा होगा, उसकी भी एक दुनिया होगी, किसी भी कारणवश वह मुझे छोङ कर बाहर जा सकता है, मेरे पास तो जीवन भर मेरा साथ निभाने वाले केवल मेरे पति ही रहेंगे
अतः मैने पति का चुना क्लास में सभी खङे होकर सरला के लिये तालियाँ बजा रहे थे ।
हम अपने जीवन काळ मे अनेक लोगॊ से मिलते हैं, कुछ से अल्प समय के लिये ओर कुछ के साथ हमेशा के लिये, किन्तु इनमे हमारे लिये जो अत्यावश्यक है  उसका विवेक हममें होना चाहिये, हमें सम्बंध की प्राथमिकता मालूम होनी चाहिये!

                                 

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